छत्तीसगढ़ में खास है 36 मोड़ों वाली चिरमिरी की ये सड़क, जानें क्या है कोलंबस से नाता

कोरिया. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में एक ऐसी सड़क (Road) है, जिसकी पहचान उसके 36 मोड़ हैं. करीब 70 साल पहले कोरिया (Koria) जिले के चिरमिरी से बिलासपुर (Bilaspur) के बीच सड़क (Road) यातायात काे जाेड़ने के लिए इस सड़क को विकसित किया गया था. कच्चा और पथरीला मार्ग वर्षों पहले ही बनाया जा चुका था. अमूमन पर्वतीय क्षेत्राें में ऐसी ज्यादा मोड़ वाली सड़कें दिख जाती हैं, लेकिन चिरमिरी में इस सड़क को बनाने की मुख्य वजह यहां से निकलने वाला कोयला बताया जाता है. कोयले की ट्रांसपोटिंग में सुविधा के लिए इस सड़क को विकसित किया गया है.

बताया जाता है कि इस सड़क की खास बात यह है कि इसका पहला स्वरूप 1930 के आसपास ही तैयार किया जा चुका था. बिना मशीनों के पहाड़ों को काटकर स्थानीय मजदूरों ने इस रास्ते को बनाया था. मिली जानकारी के मुताबिक पहला कच्चा रास्ता ब्रिटिश शासन में रेलवे ट्रैक के लिए जरूरी टिम्बर (लकड़ी के सिल्ली) की जरूरताें काे देखकर तैयार किया गया था. चिरमिरी के बुजुर्ग बताते हैं कि चिरमिरी में रेलवे ट्रैक विस्तार के दौरान टिम्बर के लिए लकड़ी इस मार्ग से ही लाई जाती थी, तब यह सड़क कच्ची और पथरीली हुआ करती थी, जिसे ट्रकों के आने लायक बनाकर तैयार किया गया.

सड़क की कोलंबस के नाम से पहचान
मिली जानकारी के मुताबिक 1958 में चिरमिरी को बिलासपुर से जोड़ने इस सड़क का विस्तार हुआ. चिरमिरी के कोलंबस के नाम से पहचाने जाने वाले विभूति भूषण लाहिड़ी ने सड़क का सर्वे पूरा करवाया था. इसलिए सड़क की पहचान कोलंबस नाम से भी है. 1962 में कच्चे रास्ते पर सड़क का निर्माण शुरू हुआ. 1967-68 से सड़क का डब्ल्यूबीएम शुरू हुआ और 3 साल तक डब्ल्यूबीएम का काम चला. इसमें सरकार ने कोयला कम्पनी की सहायता ली थी. बता दें कि कोरिया जिले में बड़े पैमाने पर कोयला पाया जाता है. मनेन्द्रगढ़ और चिरमिरी में कोयले की बड़ी-बड़ी खदानें हैं. ऐसे में वहां से कोयले की ट्रांपोटिंग के लिए सड़क निर्माण सरकार के लिए जरूरी था. इसको ध्यान में रखते हुए ही पुरानी कच्ची व पथरिली सड़क को विकसित किया गया है.

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